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कविता: रेप क्यों होते है (इंदु सिंह, नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार इंदु सिंह की एक कविता  जिसका शीर्षक है “रेप क्यों होते है”: 

नौ महीने हो
या फिर नब्बे साल
बलात्कारी नहीं देखता
आपकी उम्र
आपका लिंग
आपकी मोहिनी सूरत
आपका रंग या
आपकी जाति और धर्म
आपकी शारिरिक विकलांगता
यहां तक कि,
अब तो जानवर होना भी
हैवानियत से बचा नहीं सकता ।
 
क्योंकि,
रेपिस्ट को तो केवल,
अपनी उत्तेजना शांत करना
जिसके लिए काफी है
आपका मादा होना
उसे अपनी यौनेच्छा मिटाने
चाहिए मात्र एक अंग
एक ऐसा सुराख
जिसमें डाल सके वह
अपने भीतर उफनता हुआ
वासना का कचरा ।
 
समय वह आ गया
जब किशोर और कमसिन भी
बलात्कारी बन रहे है
ज्यादातर मामले अब ऐसे
जिसमें बलात्कारी नाबालिग है
जो वयस्क की तरह
दुष्कर्म कर सकता उसको
समझना अवयस्क समझना भी
रेप को बढ़ावा देना है ।
 
ऐसे में यह
सवाल उठता है कि,
किसी के भीतर यह
कोमोत्तेजना बढाता कौन है ?
इसके लिए उत्तरदायी कौन है ??
क्या जिसे देखकर रेपिस्ट के मन में
कामुकता जन्म लेती है ???
 
ढूंढ लिया गर,
इस प्रश्न का उत्तर तो
रेप को रोकना फिर
कठिन नहीं होगा
पोर्न परोसकर
यह उम्मीद करना कि,
व्यक्ति जितेंद्रिय बन सकता
इससे बड़ी नासमझी क्या होगी भला ।