पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार पूजा भूषण झा की एक कविता जिसका
शीर्षक है “तेरा मेरा साथ प्रिय”:
है तेरा मेरा साथ
प्रिय,
जैसे दिन और है
रात प्रिय।
मैं सुरज की हूँ
रोशनी,
तू तारों भरी है
रात प्रिय।
मैं नदी की बहती
धारा हूँ,
और तू इसका मझधार
प्रिय।
है तेरा -मेरा
साथ प्रिय,
जैसे दिन और है
रात प्रिय।
मैं सुर-संगम की
रागीनी,
तू विणा की है
तार प्रिय।
तेरे स्वप्न महल
की आँगन मैं
तू ही उसका है द्वार प्रिय।
है तेरा मेरा साथ
प्रिय ,
जैसे दिन और रात
प्रिय।
मैं मंदिर की
पूजा हूँ,
तू पूजा की
प्रसाद प्रिय।
उस दिपक की मैं
बाती हूँ,
जिस दिपक की तू
ज्योंत प्रिय।
मैं रामायण की
सीता सी,
तू गीता की हैं
सार प्रिय।
है तेरा -मेरा
साथ प्रिय,
जैसे दिन और रात
प्रिय।
तू ही उसका है द्वार प्रिय।