पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुभासिनी गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “विकलांग कौन”:
वो जिसके पास आँखें
होते हुए भी सच
देखना नहीं चाहते
वो जिसके कान
होते हुए भी सच
सुनना नहीं चाहते
वो जिसके जुबान
होते हुए भी सच
कहना नहीं चाहते
हम उन्हें बड़े
आसानी से लंगड़ा
अंधा और बहरा कह
देते हैं
पर क्या सच में
वे विकलांग हैं
या हम और हमारी
सोच विकलांग हैं
विकलांगता एक
अभिशाप है
कर्मठता के लिए
पर
कभी कभी यह सच
नहीं होता
वे तो फिर भी
अपना जीवन बसर कर रहे हैं
और हम क्या कर
रहे हैं
सोचने समझने की
शक्ति है
हमारे भीतर फिर
भी
हाथ पर हाथ
धरेबैठे हैं
वे मजबूर हैं और
हम
मजबूरी का ढोंग
रच रहे हैं
विकलांग वे नहीं
हम हैं
सब कुछ जानते हैं
फिर
भी चुप क्यों हैं
बोलने की
कोशिश भी नहीं
करते
सच कहने की और
उन्हें विकलांग
कहते
कैसे कहेंगे
उन्हें विकलांग
बोलिए आपका बोलना
बेहद जरुरी है व
समय की मांग भी है