पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली
सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत
है। आज आपके सामने प्रस्तुत है
रचनाकार गोपाल कृष्ण पटेल की एक कविता जिसका
शीर्षक है “माँ अम्बे आने वाली है”:
हो जाओ तैयार, मनाओ उत्सव,
माँ अम्बे आने
वाली है।
सजा लो पंडाल और दरबार
शेरावाली माँ आने वाली हैं।।
जगत की पालनहार
है माँ,
सारा जहाँ है
जिसकी शरण में।
मुक्ति का धाम है माँ,
नमन है उस माता
के चरण में।।
क्या पापी, क्या घमंडी,
माँ के दर पर सभी
शीश झुकाते हैं।
मिलता है चैन तेरे दर पे मैया,
झोली भरके सभी
जाते हैं।।
नव दुर्गा के दरस
की खातिर,
कर रहे बड़े बड़े
आयोजन।
भक्तो की भक्ति देखकर,
मां का भी उतावला
हुआ मन।।
जिसका हमको था
इंतजार,
आखिर वो घड़ी आई
है।
होकर सिंह पर सवार,
माता रानी सबके
घर आई है।।
तू ही बता दे, किन शब्दों में,
तुझको आज मनाऊं
मेरी मां।
अश्रुधार भरी आंखों से,
किस विधि दर्शन
पाऊं तेरी मां।।
माता तेरे दर्शन
से हर्षित हुई मैं,
पुलकित हुआ पूरा
संसार है।
जागरण और गरबे की मस्ती,
सभी जगह खुशियों
का भंडार है।
हो जाओ तैयार, मनाओ उत्सव,
सजा लो पंडाल और दरबार
शेरावाली माँ आने वाली हैं।।
मुक्ति का धाम है माँ,
मिलता है चैन तेरे दर पे मैया,
भक्तो की भक्ति देखकर,
होकर सिंह पर सवार,
अश्रुधार भरी आंखों से,
जागरण और गरबे की मस्ती,