पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार भावना ठाकर की एक कविता जिसका
शीर्षक है “कुछ एसा करना”:
सुन सजना मैं आधी लिखी हुई गज़ल हूँ तेरी जल्दी क्या है ज़रा हौले लिखना मिसरे, ताउम्र तुम्हारे ज़हन में रहूँ कुछ एसा करना।
चाहत की जंजीर
में जकड़ी नैंनो की भाषा में बिखरी प्रीत के शामियाने में रखना, ताउम्र तुम्हारी सोच में रहूँ कुछ एसा करना।
गर्म साँस की धूप
में बहती हंसी में तुम्हारी रोज़ हूँ रमती खामोशी में बोल सी बजती, ताउम्र तुम्हारे होठों पर ठहरूँ कुछ एसा करना।
टुकुर - टुकुर
मुझे देखती आँखें पीठ पर मेरे प्रीत को
लिखती पल - पल मेरा पीछा करती हाये,
ताउम्र मुझे तकती रहे कुछ
एसा करना।
तेरे दिल में एक
चिंगारी सुलगे मेरे ख़याल की कामना झुलसे धूनी मेरे तू नाम की भर ले, ताउम्र हम तुम ना बिछड़े कुछ एसा करना।
सुन सजना मैं आधी लिखी हुई गज़ल हूँ तेरी जल्दी क्या है ज़रा हौले लिखना मिसरे, ताउम्र तुम्हारे ज़हन में रहूँ कुछ एसा करना।