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कविता: माँ .. इक छोटा सा शब्द (प्रीति प्रिया, हैदराबाद, तेलंगाना)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीति प्रिया की एक कविता  जिसका शीर्षक है “माँ .. इक छोटा सा शब्द”: 

माँ .. है तो इक छोटा सा शब्द ..
पर इसमें हमारी पूरी दुनिया समा जाए,
सुख के पल और दर्द में भी ..
हमेशा हमें अपनी माँ की याद आए,
जब भी घर हम सब जाते ...
सबसे पहले हम माँ को ही आवाज़ लगाए,
चोट अगर हमें कहीं लग जाती ..
तपाक से ओह माँ जुबान पे आ जाए,
जब भी उलझन में कहीं आजाते ..
तुरंत अपने माँ को हम फोन  लगाए,
मां का दिल बेचैन हो जाता जब ..
कॉल की पूरी रिंग होने पर हम फोन ना उठाए,
हरेक बार एक सवाल वो जरूर करती,
खाना खाया या नहीं बस यही पूछती जाए,
कभी कभार हम सोचते
आखिर माँ क्यूं इतनी व्याकुल होती जाए,
अब माँ बनने के बाद ही मुझे ..
बच्चों के लिए माँ की परेशानी समझ पाए,
ख़ुद भूखे पेट रह जाति ...
पर अपने बच्चों को पेट भर खिलाए,
परेशानियों में हम जब घिर आते ..
सिर्फ़ मां की गोद में ही सुकून हम पाए,
माँ .. है दुनिया का प्यारा सा शब्द ..
पर माँ में ही तो हमारी दुनिया नजर जाए।