पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रमिला श्री 'तिवारी' की एक ग़ज़ल:
वक्त गँवाकर फिर रोते हैं ।
उनको बस नुकसान हुआ है -
अपना आपा जो खोते हैं ।
ऐसे भी कुछ लोग हुए हैं -
दिल में बस नफरत बोते हैं ।
उनसे पूछो दिल की हालत -
पाने से ज्यादा खोते हैं ।
पोछें आँसू कौन किसी के -
दामन सब भीगे होते हैं ।
राह गलत जो हरदम चलते -
अश़्कों से दामन धोते हैं ।