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कविता: अभिलाषा (शंभू राय, न्यू माल जं●, मालबाजार, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार शंभू राय की एक कविता  जिसका शीर्षक है “अभिलाषा”:

अगर मैं पक्षी होता

उड़ता जाता, उड़ता ही जाता

ना होती मेरी कोई सीमाएं

ना होती कोई रुकावटें

अगर मैं पक्षी होता

उड़ता जाता, उड़ता ही जाता ।

 

विशाल समुन्द्रों को पार करते हुए

और

अडिग पर्वतों से भी ना घबराता

लिए अपने बाहों में

मानवता का प्यारा शांति भरा संदेश

पुरे विश्व के लोगों तक पहुँचाता

अगर मैं पक्षी होता

उड़ता जाता, उड़ता ही जाता ।

 

बढ़ रहे है देशों - देशों के बीच आपसी बैर

हो रहे है सभी में अब

अपने आदर्शों - विचारों को लेकर मतभेद

क्या यही मानवता है?

नहीं !

मानवता हमें लड़ना नहीं सिखाती

मेरी बस एक ही अभिलाषा अब

कर सकना

मानवता और भाईचारे का प्रसार विश्व भर में

बस यही संदेश लिए

अगर मैं पक्षी होता

उड़ता जाता, उड़ता ही जाता ।