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कविता: कोमल सी बेटियाँ (सोनल ओमर, कानपुर, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सोनल ओमर की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कोमल सी बेटियाँ”:

 
कलियों की तरह खिलती और,
फूलों सी महकती हैं बेटियाँ।
तितली जैसी कोमल रंग - बिरंगी,
चिड़ियों सी चहकती हैं बेटियाँ।
बारिश की एक बूँद सी होती,
धरा की पहली सुंगध सी हैं बेटियाँ।
गंगा की जल - धारा सी निर्मल,
सपनों की तरह सुंदर होती हैं बेटियाँ।
वसंत की नवीन कोपल सी होती,
जेठ की दुपहरी में छांव सी शीतल है बेटियाँ।
भययुक्त परिवेश में डरकर जीती,
आत्मीय संरक्षण में बेफिक्र हँसती है बेटियाँ।
प्यार भरी थपकी से सहज होती,
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती है बेटियाँ।
माँ - बाप के दिल की धड़कनें होती,
बड़े नाजों के साथ पलती हैं बेटियाँ।
बहन के माथे की रोली बनती,
भाई के कलाई की मौली है बेटियाँ।
घरवालों का मान - अभिमान होती,
भारत देश की आन बान - शान है बेटियाँ।