पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पिंकी महेता शाह 'दिशा' की एक कविता जिसका शीर्षक है “रिश्ते”:
बहोत अजीज होते
हे बो रिश्ते
जो मिलोंकी दूरी
होकरभी मन से
एकदूसरेके बहोत
ही करीब होते हे
महेसूस कर सकते
हे हम उनको
हमारे अजीज को हम
याद करते हे
दिलों से दूरिया
तक तन्हाई का सफर
मायने नही रखता
चाहनेवालों के लिए
अलग होकर भी
लगोलग साथ होते हे
सिर्फ एक ही गुजारिश है
रिश्तेमे कया
पाया हे फिक्र मत करो
अपने साथीको
खुशियोंके वो पल दो पूरी जिंदगी
यादों का
गुलदस्ता बनके आनेवाले कल मे रोज महेकती रहे
कितने साल साथ
रहे उससे कई ज्यादा मायने रखती हे
ये बात की हमने
कितने लम्हे यादगार बिताये हे
एकदूजे के साथ