पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार हरेंद्र सिन्हा की एक कविता जिसका
शीर्षक है “डाः कलाम”:
धन्य धन्य है भारत भूमि
जिसने जन्म दिया डाः कलाम को ।
डाः कलाम ---------
बस एक इंसान ,
जो रहते थे सदा
------
सब पर मेहरबान ।
जिन्दगी की सहजता ------
कोई सीखे तो डाः कलाम से ।
एक सीधा साधा इंसान,
जिसकी बचपन थी
बहुत हीं मेहनतकश ।
संघर्ष से शुरू हुई,
जिन्दगी डाः कलाम
की ।
फिर देश सेवा से शुरू होकर,
मानव सेवा तक
पहुंच गई ।
यही तो जीवन का फलसफा है,
जो हमको डाः कलाम
ने दिया ।
आइए, हम------
डाः कलाम के बताए रास्ते पर चलकर,
मानव सेवा में
------
अपना जीवन समर्पित करें ।
फिर देश सेवा की ओर,
अपने को ले चलें
।
अगर कुछ सीखना हो डाः कलाम से -----
तो सबसे पहले -------
''नैतिकता'' को -
अपने जीवन में ग्रहण करें ।
''नैतिकता'' हीं मूलमंत्र है -----
डाः कलाम का ।
और फिर देश की सेवा को -
अपने को समर्पित करें ।
शत शत नमन,
शत शत नमन-
डाः कलाम को ।
एक नेक, दरियादिल इंसान को ।
धन्य धन्य है भारत भूमि
जिसने जन्म दिया डाः कलाम को ।
डाः कलाम ---------
बस एक इंसान ,
सब पर मेहरबान ।
जिन्दगी की सहजता ------
कोई सीखे तो डाः कलाम से ।
एक सीधा साधा इंसान,
संघर्ष से शुरू हुई,
फिर देश सेवा से शुरू होकर,
यही तो जीवन का फलसफा है,
आइए, हम------
डाः कलाम के बताए रास्ते पर चलकर,
अपना जीवन समर्पित करें ।
फिर देश सेवा की ओर,
अगर कुछ सीखना हो डाः कलाम से -----
तो सबसे पहले -------
''नैतिकता'' को -
अपने जीवन में ग्रहण करें ।
''नैतिकता'' हीं मूलमंत्र है -----
डाः कलाम का ।
और फिर देश की सेवा को -
अपने को समर्पित करें ।
शत शत नमन,
डाः कलाम को ।
एक नेक, दरियादिल इंसान को ।