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कविता: डाः कलाम (हरेंद्र सिन्हा, चंडीगढ़, पंजाब)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार हरेंद्र सिन्हा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “डाः कलाम”:
 
धन्य धन्य है भारत भूमि
जिसने जन्म दिया डाः कलाम को ।
डाः कलाम   ---------
बस एक इंसान ,
जो रहते थे सदा ------
सब पर मेहरबान   
जिन्दगी की सहजता   ------
कोई सीखे तो डाः कलाम से  
एक सीधा साधा इंसान,
जिसकी बचपन थी बहुत हीं मेहनतकश ।
संघर्ष से शुरू हुई,
जिन्दगी डाः कलाम की 
फिर देश सेवा से शुरू होकर,
मानव सेवा तक पहुंच गई ।
यही तो जीवन का फलसफा है,
जो हमको डाः कलाम ने दिया ।
आइए, हम------
डाः कलाम के बताए रास्ते पर चलकर,
मानव सेवा में ------
अपना जीवन समर्पित करें ।
फिर देश सेवा की ओर,
अपने को ले चलें ।
अगर कुछ सीखना हो डाः कलाम से -----
तो सबसे पहले -------
''नैतिकता'' को -
अपने जीवन में ग्रहण करें ।
''नैतिकता'' हीं मूलमंत्र है -----
डाः कलाम का 
और फिर देश की सेवा को -
अपने को समर्पित करें  
शत शत नमन,
शत शत नमन-
डाः कलाम को 
एक नेक, दरियादिल इंसान को ।