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कविता: अगर तुम चाहते (नीलम वन्दना, भोपाल, मध्य प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलम वन्दना की एक कविता  जिसका शीर्षक है “अगर तुम चाहते”:

तुम चाहते तो बना सकते थे सब कुछ...
तुम चाहते तो बसा सकते थे एक पूरी दुनिया...
तुम चाहते तो पूरे कर सकते थे अपने सारे सपने...
तुम चाहते तो उसके भी सपने पूरे हो जाते..
निखार आ जाता उसके चेहरे पर ,
खिल जाता तुम्हारा भी सारा संसार ,
बस जाता एक सुन्दर समाज
अगर तुम चाहते...
लेकिन तुमने कभी चाहा ही नही
खुद के अलावा किसी को और
अभिश्राप दिया समाज को.
बना दिये तुमने कुछ
और मासूमो को
अपराधी और असामाजिक...
बस यू ही...