पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार नूतन गर्ग की एक कविता जिसका
शीर्षक है “पुस्तक”:
नए ज़माने के
नवयुवकों,
यूँ मेरी पहचान न
मिटाओ तुम,
मेरा स्थान मेरा
ही रहने दो,
उस जगह न किसी और
को बिठाओ तुम।
कल तक
पुस्तकालयों की शोभा थी मैं,
न उन पर धूल जमाओ
तुम,
बचा लो वज़ूद
मेरा इस जहाँ में,
कर रही फ़रियाद
हाथ जोड़ तुमसे मैं आज।
माना आगे बढ़ना
इंसान की फ़ितरत में है,
इसी में उसकी
भलाई है छिपी,
लेकिन कुछ परिवर्तन
मात्र से भी तो,
मेरी हस्ती ज्यों
कि त्यों बनी रह सकती है।
नवयुवकों सुनों
मेरी व्यथा आज,
कुछ तो करो उपाय
तुम,
बस चाहती एक
वायदा तुमसे मैं आज़,
मुझे मैं ही रहने
दो, न बनाओ वो तुम।