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कविता: इश्क मेरा (निशा गुप्ता, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार निशा गुप्ता की एक कविता  जिसका शीर्षक है “इश्क मेरा”: 

माना कि तुझे फुर्सत ही नहीं कभी  मुझसे बात करने की
पर अपने दिल को रोक भी नहीं सकते मुझे याद करने से
 
रूह के कतरे कतरे से जुड़ा है मेरे साथ बिताया रिस्ता
तुम लाख भुलाना चाहो पर मिटा न पाओगे ये किस्सा
 
धड़कते रहेंगे तुम्हारे दिल की गहराइयों में हम
क्योकि कभी खत्म न हो वो अहसास थे हम
 
नहीं रहता कोई शख्स अधूरा कभी किसी के भी बिना
फिर भी तुम नहीं सिख पाओगे कभी मेरे बिना जीना
 
 
इश्क के धागे से बांधा ही नहीं कभी भी मैंने तुझे
लेकिन भूला नहीं पाओगे चाह कर भी कभी मुझे
 
मुझे याद किए बिना तो नींद भी नहीं आती होगी
यक़ीनन मैं तेरे सपनों में भी चली आती ही होंगी
 
प्यार जिसने भी किया है एकदिन सबको रोना ही पड़ता है
किसी को पाने की हसरत में जाने क्या क्या खोना पड़ता है
 
काश ! थोड़ा सा ईगो को साइड में रख लिए होतें
तो आज यादों में नहीं तेरी बाहों के घेरों में होतें !