पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार योगिता चौरसिया की एक कविता जिसका शीर्षक है “सर्तक भारत, समृद्ध भारत”:
सर्तक भारत ही, समृद्ध भारत कहलायेगा।
संभल संभलकर चलेंगे, स्वर्णिम भारत बनेगा।।
स्वर्णिम भारत का फिर, स्वर्णिम इतिहास रचेगा।
सोने की चिड़िया सा, भारत फिर बन पायेगा।।
जड़ से मिटायेंगे, सर्तकता को हथियार बनाये हैं।।
दूर-दूर रहकर, सोसल डिस्टेंटिग बनायेंगे।।
अपनी संस्कृति, सभ्यता अपनाकर प्रणाम करेंगे।।
सारे त्यौहारों को हम सभी, घर मे ही रहकर मनायेंगे।।
त्याग, धर्म, संस्कृति, सभ्यता हैं गुणों की खान।।
पूरे विश्व में हैं बज रहा डंका, मेरा भारत देश हैं महान्।।