पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार विक्की चंदेल “चंदेल साहिब” की एक लघुकथा जिसका शीर्षक है “कर्म की गठरी":
सुनील हिमाचल में रहने वाला एक आदमी था, जो वाणिज्य विभाग में कार्यरत था। दुनिया के लिए वह एक
अच्छा इंसान था पर गाँव वालों के लिए नहीं। ज़मीन का भूखा वह नितदिन अपनी ज़मीन से
जुड़े खेतों की मेड़ों को खोदकर अपने खेत में मिला लिया करता था, सभी
उससे परेशान थे। अग़र कोई उसका विरोध करता तो वो शराब पीकर गाली गलौज करता औऱ मारने
पीटने को तैयार हो जाता, जिसके
कारण कोई उससे मुँह न लगाता था।
एक बार रात को शराब पीकर वह दफ़्तर से लौट रहा था तो उसकी गाड़ी अचानक पुल से
नीचे खाई में गिर गयी, औऱ उसकी
मौत हो गयी।
अगली सुबह सभी को यह समाचार मिला कि सारी उम्र सभी की थोड़ी थोड़ी जमीन हथियाने
वाले को अपनी ज़मीन पर आखिरी साँस भी नसीब न हुई।
शिक्षा:- कर्म का फ़ल आज नहीं तो कल जरूर मिलता है।


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