Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: आओ पत्र लिखें (डॉ● दीप्ति गौड़ दीप, ग्वालियर, मध्यप्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ दीप्ति गौड़ दीप की एक कविता  जिसका शीर्षक है “आओ पत्र लिखें”: 

चिट्ठी पत्री से जुड़ते हैं,

मन से मन के तार,

शब्द शब्द में ध्वनित होती,

अंतस की झंकार।

आओ पत्र लिखें …….

अपने दिल की कहें।

 

(1)

स्वाभाविक अभिव्यक्ति से,

वैचारिक आदान - प्रदान।

लेखनी भी होती है परिष्कृत,

शब्दों के नूतन संधान,

आओ मीत बनें …….

अपने दिल की कहें ।

 

(2)

राखी के त्यौहार पे बहना,

भेजे प्यार लिफाफे में,

रख देती एक मन की पाती,

बंधन के इस धागे में

आओ रिश्ते बुनें …..

अपने दिल की कहें ।

 

(3)

चिट्ठी के इंतजार में तकती,

बूढ़ी मां अकुलाती थी ।

बीत चला ऐसा वो जमाना,

चिट्ठी न अब आती थी ।

आओ फिर से लिखें ….

अपने दिल की कहें ।