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कविता: पत्ते (उत्तीर्णा धर, मालदा, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार उत्तीर्णा धर की एक कविता  जिसका शीर्षक है “पत्ते”:
 
प्रथम में हल्का हरे रंग का लाल लाल,
जैसे हरियाली में ढल गया हो गुलाल l
अति लघु लिए हैं शिशु का रूप,
निखरता है रंग जब इसमें पड़ती है धूप l
धीरे - धीरे गहरे हरे रंग में बदलाव,
धूप में भी पहुंचाता है यह  छांव l
सिकुड़ने लगता है वृद्धावस्था में,
रंग में परिवर्तन होता है फिर से l
अब कनक समान पीले रंग का हो जाता है,
जैसे टहनी से बस यह छूटना ही चाहता है l
भूरे रंग में बदलकर अब छूट पड़ता है,
हवा के सहारे इधर - उधर भटकता रहता है
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