पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ• निशा पारीक की एक कविता जिसका शीर्षक है “क्षमा तुम पर है”:
स्मृति सुरभित
समीर सयानी,
प्रिय की झलक
दिखी पुरानी|
पास मेरे
वो बैठे स्नेह संग,
मूरत वही
मधुर मुसकानी||
छलकी पलको
से दो बूँदे,
विरहाकुल नयनों
को छू के|
ह्रदय भाव
मग्न था किन्तु,
नयन नीर की सरित
में डूबे||
मिलना पल पलक में रहना,
स्वप्न सुहाना
स्वयं से सिहरा|
कब आए कब चले गए हो,
यही विरह श्वास का पहरा||
जीवन घन आनन्द
तुम्हीं हो,
मेरे टूटे
स्वप्न तुम्हीं हो|
जीवन डोर
बँधी है तुमसे,
तुम्हीं प्राण
आधार तुम्हीं हो||
न्यौछावर तन मन तुम पर है,
भूल हुयी
क्षमा तुम पर है|
मैं विरहन
विरहानल दहती,
प्रणय प्रिय शीतल समीर हैं||