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कविता: बस इतनी सी तमन्ना है (प्रेम बजाज, जगाधरी, यमुनानगर, हरियाणा)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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तमन्ना है तेरे पहलु में सदा रहूं मैं, तु हो हीर मेरी तेरा रांझा बनूं मैं,
कभी बनूं मैं तेरे माथे की बिंदिया, कभी बन के बाली कानों को चूमा करूं मैं,
पी जाए जिसे तु तमन्ना है मैं वो आंसू बनूं ।
बन के नथनी नासिका की लबों को छुआ करूं मैं, बनूं कभी पान मीठा,
तेरे रस में रम जाया करूं मैं, तुम पियो जिसे प्यार से लेते हुए चुस्कियां,
वो शरबत मीठा बना करूं मैं ।
बन के तेरे गले का हार सीने पे झूला करूं मैं, बस इतनी इज़ाजत दे दो,
कंगन तेरे हाथ का बनूं मैं, बन के आंचल तेरा तुझसे लिपटा करूं मैं,
बन के नगीना तेरी मुद्रिका का तेरी अंगुली में सजा करूं मैं,
तेरे बालों का गजरा बनूं गेसुओं में सजा करूं मैं, मोहब्बत है इतनी तुमसे मुझे,
ना बन सकूं कुछ तो, तेरी पायल का घुंघरू बनूं मैं, लगे जब - जब कदम तुम ज़मीं पर,
संग पायल के झनकार करूं मैं, बस चाहत इतनी सी कि तुझे छुआ करूं मैं ।
नहीं मंजूर तुझे ग़र इतनी अर्ज़ मान लो, बन जाऊं बिछावन, चांदनी रातों में तेरे
लिए बिछा करूं मैं,  बन के ओस की बूंद कभी सुर्ख गालों पे ढलकूं,
कभी कस्तुरी से तेरी खेला करूं ।
चाहत इतनी सी बेइंतहा तुझसे मोहब्बत करूं मैं ।
हां बस यही तमन्ना सिर्फ तुमसे ही तुमसे मोहब्बत करूं मैं ।