पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रेम बजाज की एक कविता जिसका
शीर्षक है “बस इतनी सी तमन्ना है”:
तमन्ना है तेरे पहलु में सदा रहूं मैं, तु हो हीर मेरी तेरा रांझा बनूं मैं,
बन के नथनी नासिका की लबों को छुआ करूं मैं, बनूं कभी पान मीठा,
बन के तेरे गले का हार सीने पे झूला करूं मैं, बस इतनी इज़ाजत दे दो,
नहीं मंजूर तुझे ग़र इतनी अर्ज़ मान लो, बन जाऊं बिछावन, चांदनी रातों में तेरे
लिए बिछा करूं मैं, बन के ओस की बूंद कभी सुर्ख गालों पे ढलकूं,
चाहत इतनी सी बेइंतहा तुझसे मोहब्बत करूं मैं ।
हां बस यही तमन्ना सिर्फ तुमसे ही तुमसे मोहब्बत करूं मैं ।