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कविता: मां - बाप से बढ़कर कौन ? (प्रीति साह, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीति साह की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मां - बाप से बढ़कर कौन ?”:

उन चरणों में जन्नत ढूंढो, जिसने अपने लिए कभी चला नहीं।

उन हाथों में सुकून ढूंढो, जिसने अपने लिए कभी कुछ किया नहीं!

उस शरीर में भगवान की तस्वीर एवं उस आत्मा में छुपे परमात्मा को देखो

जिसने अपने लिए कभी कुछ सोचा ही नहीं।

उनके दो आंसू भी जब आंखो से गिरे, तो वजह उनसे जुड़ी न थी।

जब भी चेहरे पे मुस्कुराहट की एक लकीर दिखी,

तब भी कारण उनकी कोई खुद की ख़ुशी न थी।

ज़िन्दगी को संवारने की कोई कीमत जिन्होंने हमसे कभी मांगी नहीं...

और जिस जीवन नामक नौकरी में कोई आराम नामक पैसा उन्हें कभी मिला नहीं,

ढूंढ लो संसार में ऐसे दो इंसान, जिसके लिए तुमने कभी कुछ सोचा नहीं।

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