पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार वीणा गुप्त की एक कविता जिसका शीर्षक है “माँ भारती”:
माँ भारती !
तुझे नमन, तेरा वंदन, तेरी आरती।
प्रथम रश्मि से
दीपित मस्तक,
ज्ञान - तेज दिव्याभ तिलक।
हरित नील पट, शोभित तन पर,
सुषमा रूचिर
विराजती।
माँ भारती !
तेरा वत्सल, बन अमिय सलिल,
बहता तव धरती पर
प्रतिपल।
निर्झर, सरिता, सागर - लहरें,
तेरे चरण पखारती।
माँ भारती !
वीर प्रसू तू
धन्य धरा है।
जीवन तेरा शांति
भरा है।
कर्मयोग की पावन
गीता,
कान्हा वेणु
उचारती।
माँ भारती !
आशा और विश्वास
समन्वित,
विश्व वंदनीय, गरिमा मंडित।
प्रेम, अहिंसा, ऐक्य मंत्र ले,
विश्व - भविष्य संवारती।
माँ भारती !
तेरा वंदन, तुझे नमन, तेरी आरती।
मां भारती !