पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार ममता कुमारी की एक कविता जिसका
शीर्षक है “धोखा”:
सब कहते है, सही ही कहते हैं
कहां मिल पाया है सुकून गुनाह करने वालों को !
बेशक मिल जाए कुछ क्षण की शान्ति,
कहा पूरी होती है
खाव्हिशें किसी की तबाही की,
लाख प्रयास के
बाद भी विफल हो जाते है प्रयत्न सारे,
आशाएं तब तक
जीवित रहती है जब तक अंतर्मन कि चाहत हो,
इसके बाद बिखर
जाती है स्याही कोरे पन्नों पर,
मानो अब सब
समेटना कठिन है
कुशल नीतियां भी निर्थक सिद्ध हो जाती है,
तरकश के सारे
संधान व्यर्थ से होते हैं
भावनाएं भी रद्द हो जाती है,
परन्तु प्रयत्न
नहीं छूटता है यदि इच्छा हो बदलाव की,
आशाओं को विस्तार
मिलता है जब उम्मीदें सफल सी होने लगती हैं,
और धोखा
नियम है, गलत के साथ गलत करने पर खुद के लिए
अगले मोड़ पर तय सजा भोगने की।
सब कहते है, सही ही कहते हैं
कहां मिल पाया है सुकून गुनाह करने वालों को !
बेशक मिल जाए कुछ क्षण की शान्ति,
कुशल नीतियां भी निर्थक सिद्ध हो जाती है,
भावनाएं भी रद्द हो जाती है,
नियम है, गलत के साथ गलत करने पर खुद के लिए
अगले मोड़ पर तय सजा भोगने की।