पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार महेश सारडा की एक कविता जिसका शीर्षक है “मेरा नसीब है माँ”:
इनके होंठों पर
बस दुआ है
इनके चरणों में
सारा जहां है
उन चरणों में ये
शीष है
उनका सब पर आशीष
है
ये ममता की मूरत
है
सारे जहां से
खूबसूरत है
इनके दिल में बस
दया होती है
इनके मन में बस
क्षमा होती है
इन्हीं ने चलना
सिखाया है
जो पाया इन्हीं
से पाया है
जहां में इन जैसा
कोई कहां है
ये मां है, मां है, सिर्फ मां है
हमको मिलता जीवन
जिनसे
कदमों में जिनके
स्वर्ग बसा
बच्चों के लिए
झोंक देती है जाँ
देवी का दूसरा
रूप है माँ
माँ के होने से
घर में
चहल पहल लगती है
माँ साथ है तो
कुटिया
भी महल लगती है
ममता की मूरत है
दिल के करीब है
माँ
मेरा ईश्वर है
मेरा नसीब है माँ


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