पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ● महावीर प्रसाद जोशी की एक कविता जिसका शीर्षक है “पहला – पाठ”:
एक राजनेता का
परिवार।
हर खुशी थी उसके
द्वार।।
नेता का किशोर
सुकुमार।
कर बैठा इच्छा का
इजहार।।
कि उसने पिता से भी बड़ा,
राजनेता बनने की
ठानी ।
पिताजी, कृपया कीजिए,
कुछ गुर सिखाने
की मेहरबानी।।
पिताजी ने पहले
की आनाकानी।
बेटा, मत कर ऐसी घोर नादानी।।
लेकिन बाल - हठ पर भारी कौन ?
पिता को तोड़ना
पड़ा अपना मौन।।
बोले, बेटा बंग्ले की छत पर चढ़जा।
फिर बोले, बेटा अब नीचे कूदजा।।
बेटा कुछ
हिचकिचाया ।
पिता ने फिर वही
आदेश दोहराया।।
उसके नीचे कूदते
ही सबके,
पसीने छूट गये।
बेचारे किशोर के
तो,
हाथ - पांव टूट गये।।
बेटा बोला,पिताजी आपने,
ऐसा आदेश क्यों
दिया ?
किस बात का बदला,
आज मुझसे लिया ?
पिताजी ने कहा, राजनीति में,
कर्मफल नहीं, केवल बंदरबांट है।
अपने बाप पर भी
भरोसा न करो,
यही राजनीति का
पहला पाठ है।।