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कविता: पहला – पाठ (डॉ● महावीर प्रसाद जोशी, भीलवाड़ा, राजस्थान)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉमहावीर प्रसाद जोशी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “पहला पाठ”:

एक राजनेता का परिवार।

हर खुशी थी उसके द्वार।।

नेता का किशोर सुकुमार।

कर बैठा इच्छा का इजहार।।

कि उसने  पिता से भी बड़ा,

राजनेता बनने की ठानी ।

पिताजी, कृपया कीजिए,

कुछ गुर सिखाने की मेहरबानी।।

पिताजी ने पहले की आनाकानी।

बेटा, मत कर ऐसी घोर नादानी।।

लेकिन बाल - हठ पर भारी कौन ?

पिता को तोड़ना पड़ा अपना मौन।।

बोले, बेटा बंग्ले की छत पर चढ़जा।

फिर बोले, बेटा अब नीचे कूदजा।।

बेटा कुछ हिचकिचाया ।

पिता ने फिर वही आदेश दोहराया।।

उसके नीचे कूदते ही सबके,

पसीने छूट गये।

बेचारे किशोर के तो,

हाथ - पांव टूट गये।।

बेटा बोला,पिताजी आपने,

ऐसा आदेश क्यों दिया ?

किस बात का बदला,

आज मुझसे लिया ?

पिताजी ने कहा, राजनीति में,

कर्मफल नहीं, केवल बंदरबांट है।

अपने बाप पर भी भरोसा न करो,

यही राजनीति का पहला पाठ है।।