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कविता: सच्चाई (स्वामी दास, न‌ई दिल्ली)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार स्वामी दास की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सच्चाई”:
 
दुनिया का अंक - विवरण पढ़ लो
जान लो लीला जो पैसों ने रचाई है
संसार के कुल धन का दस प्रतिशत
नब्बे प्रतिशत जनता के लिए
और नब्बे प्रतिशत धन केवल
दस प्रतिशत लोगों के पास
ये ही सच्चाई है
 
धनवान के पास साधन हैं
कि दिन - रात पैसा चौगुना होता रहे
गरीब के पास बस मेहनत है
मेहनत करे, थक - हार कर सोता रहे
ऐसे ही नही गिरेगी अमीरी - गरीबी
की दीवार मनुष्य ने जो बनाई है
 
पहले भी तो राजा - महाराजा लड़ते थे
राजा सबसे आगे रहता था तो
संधियां भी आसानी से करते थे
आज राजा की जगह सरकारें हैं
अपने-अपने मंत्रालयों में आराम से
केवल सेना के जवान शहीद हो रहे
देशभक्ति के नाम से ...!
क्या दुनिया की सरकारें मिलकर
नहीं कर सकतीं पूर्णत : संधि भी
तो किस नाम की फिर सरकारें चलाई हैं
 
नफ़रत की आग में झुलसकर
आपस में देश सारे जल रहे
किसी के पास बम, किसी के पास मिज़ाइल
बस ताक़त बढ़ाने को सैनिक प्रषिक्षण चल रहे
लड़ाई का सामान खरीदने को तो पैसा है
शांति बहाल करने को एक कोड़ी भी नहीं
दुहाई है .. दुहाई है .. दुहाई है