पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रविकान्त सनाढ्य की एक कविता जिसका शीर्षक है “दीपावली इस बार ऐसी जगमगाए !”
हे दीपमालिके !
इस बार तुम्हारा
बेसब्री से इन्तज़ार है !
पूरा विश्व कोरोना से
बेज़ार है !
मानव ने देखी है
काफ़ी उथल - पुथल !
थम गई है
उद्योगों और व्यापार में हलचल !
बन आई है मज़दूरी
और
नौकरी पर !
कइयों को
बेरोज़गार होकर
बैठना पड़ गया घर
!
इस बार हे दीपावली,
कुछ नया रूप लेकर आओ !
इन्सान में आशाएँ
और उत्साह जगाओ,
जगती को पुन : सरसाओ !
दीपावली इस बार
ऐसी जगमगाए,
परस्पर सौहार्द, भाईचारे
और शान्ति का
सन्देश लाए !
अँधियारा हो जाए
परास्त
और प्रकाश की
विजय हो जाए !
माँ लक्ष्मी जी
सब पर महती कृपा बरसाएँ,
सुख और शान्ति सर्वत्र छा जाए !!