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कविता: दीपावली इस बार ऐसी जगमगाए ! (रविकान्त सनाढ्य, भीलवाड़ा, राजस्थान)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रविकान्त सनाढ्य की एक कविता  जिसका शीर्षक है “दीपावली इस बार ऐसी जगमगाए !

हे दीपमालिके !

इस बार तुम्हारा बेसब्री से इन्तज़ार है !

पूरा विश्व कोरोना  से

बेज़ार है !

मानव ने देखी है

काफ़ी उथल - पुथल !

थम गई है उद्योगों  और व्यापार में हलचल !

बन आई है मज़दूरी और

नौकरी पर !

कइयों को बेरोज़गार होकर

बैठना पड़ गया घर !

इस बार हे दीपावली,

कुछ नया  रूप लेकर आओ !

इन्सान में आशाएँ और उत्साह जगाओ,

जगती को पुन : सरसाओ !

दीपावली इस बार ऐसी जगमगाए,

परस्पर सौहार्द, भाईचारे

और शान्ति का सन्देश लाए !

अँधियारा हो जाए परास्त

और प्रकाश की विजय हो जाए !

माँ लक्ष्मी जी सब पर महती कृपा बरसाएँ,

सुख और शान्ति सर्वत्र छा जाए !!