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कविता: कोई एक भी मिल जाए (जितेन्द्र 'कबीर', चम्बा, हिमाचल प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “जितेन्द्र 'कबीर'” की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कोई एक भी मिल जाए”:

 
ऐसे समय में
जबकि चाहत आम है बहुत लोगों में
कि सबके दिलों पर वो राज करें,
लेकिन विडंबना यह है कि
दिलो-जान से चाहने वाला
कोई एक भी किसी को मिल जाए
तो गनीमत है।
 
ऐसे समय में
जबकि चाहत आम है बहुत लोगों में
कि पूरा जीवन वो मजे करें,
लेकिन विडंबना यह है कि
सबकुछ भुलाकर बेफिक्री में
कोई एक दिन भी पूरा वो जी पाएं
तो गनीमत है।
 
ऐसे समय में
जबकि चाहत आम है बहुत लोगों में
कि दुनिया में उन्हें सम्मान मिले,
लेकिन विडंबना यह है कि
हृदय से उन्हें आदर देने वाला
कोई एक शख्स भी साथ निभा जाए
तो गनीमत है।