Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: मुझे न्याय चाहिए (बिवेक कामी, गंगुटिया चाय बगान, कालचिनी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “बिवेक कामी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मुझे न्याय चाहिए”:

 
मैं हिन्दी भाषा
भारतीयों का राज  भाषा
 
भुला कर अपनी भाषा
मेरे संतान हो रहे अंग्रेजी का ज्ञाता
दो सौ साल जिन्होने किया मुझे गुलाम
उसका हो रहा आज जय-जयकार।
 
14 सितंबर को बस एक दिन ही
करते हो तुम मेरा गुन-गान
बाकी दिन तुम भुल जाते हो
हिंदी और हिंदुस्तान।
 
सिर्फ साल में एक दिन नेता करते हैं
मेरा गुन-गान बाकी दिन क्यो
अंग्रेजी बन जाता है महान।
 
मेरे संतान का क्यो होता है अपमान
अंग्रेजी का होता है गुन-गान
क्यो हम भुल जाते हैं अंग्रेजी ने किया
हमें दो सौ साल तक गुलाम,
सुनो अरे राह से भटके हुए हिंदुस्तानी
अब तो दिला मुझे सम्मान
तभी लौटेगा मेरा स्वाभीमान।
 
अब तुम्हें आगे आना है मुझे
एक मात्र राष्ट्रीय भाषा बनाना है
अब तो तुम्हें आगे आना है मुझे
हिन्दुस्तान में न्याय दिलाना है।
 
मैं हिन्दी भाषा
भारतीयों का राज भाषा
मुझे अब न्याय तुम्हें दिलाना है।