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कविता: वतन है हिंदोस्ता हमारा (जास्मिन पंडा, कटक, ओडिशा)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “जास्मिन पंडा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “वतन है हिंदोस्ता हमारा”:

 
क्या मिलेगा ये सौभाग्य दोबारा
हिन्द हैं हम, वतन है हिंदोस्ता हमारा!
 
आजादी की खुशबु है मिट्टी के हर कण कण में,
देखो, देशभक्ति का जज्बा है हर व देशवासी में,
चारों ओर आज खुशियों के त्योहार का रंग है,
पूरे देश में भाईचारा है, भाई भाई सब संग है !
 
पूरे विश्व में शांति का प्रतिक कहलाता हमारा देश है,
युवाशक्ति से मजबूत बना, यही तो सर्वश्रेष्ठ है,
शत्रु के हुंकार से डरने वाला नहीं हमारा देश है,
समस्या सुलझाकर समन्वय करने वाला मेरा देश है!
 
केवल फूल नहीं,काटों भरा वो मार्ग,वो रास्ता था,
लेकिन हमारे वीर, वीरांगना के लिए थोड़ी ये मुश्किल था!
आत्मविश्वास का जज्बा लेकर कोन सा काम बडा था,
देश के लिए मर मिटना तो जैसे उनका आदत था!
 
इस पवित्र भूमि में जन्म लेना है सौभाग्य मेरा,
याद है, कितनों ने युद्ध के लिए है इसे ललकारा!
इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षर में लिपिबद्ध है,
मेरा देश, मेरा जहान, यही तो मेरा भारत है!
 
अनेकता में एकता की कड़ी में बंधे हुए हम,
आज आजादी का जश्न मनाकर गर्व से कहते हम,
सरल, सुबोध, सुगम्य यही तो अपनी भाषा है,
राजभाषा हिन्दी हमारी शान, मान, जान और अभिमान है!!!
 
क्या मिलेगा ये सौभाग्य दोबारा
हिन्द हैं हम, वतन है हिंदोस्ता हमारा!!!