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लघुकथा: आखरी प्रयास (नीतू पुरोहित, भीलवाड़ा, राजस्थान)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी
 डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “नीतू पुरोहित” की एक लघुकथा जिसका शीर्षक है "आखरी प्रयास
":
 
अरे टीना ..... सुनाई नहीं दे रहा क्या?
दो बार डोरबेल बज कर बंद हो गई दरवाजा खोलो
भैय्या भर दिया फोर्म इस बार तो निकल जाओगे या इस बार भी पैसे बर्बाद ....
बहन मजाकिया मुड़ में बोली
राजेश--
ज्यादा जबान मत चला l
राजेश  अपने कमरे में पहुँचा ही था कि रीना भी बोलने लगी.....
"देखो आपको पांच साल हो गए प्रतियोगिता परिक्षाओं में फार्म भरते भरते और हर बार तुम नौकरी छोड़- छोड़ कर कोचिंग करने बाहर चले जाते हो और रिजल्ट वो ही  'ढाक के तीन पात' यहाँ घर में तुम्हारे भाई बहनों और भाभी के ताने मुझे सुनने पड़ते हैं ।
अब इसबार तुम ना नौकरी छोडोगे और ना ही कोचिंग के लिए कहीं जाओगे।"
राजेश.....
" यार तुम भी ओरो की तरह जले पर नमन छिड़कने लगी l ये मेरा लास्ट चान्स है फिर मैं इस परीक्षा में बैठने लायक भी नहीं रहुंगा l  कम से कम तुम तो साथ दो मेरा  
रीना--
"कब तक आखिर कब तक मैं अपने और बच्चे की जरुरतों के लिए पापा के सामने हाथ फैलाती रहुंगी। 
राजेश--
"बस मुझे एक मौका चाहिए रीना मैं जी जान लगा दूंगा और अगर एक बार सरकारी नौकरी मिल गई तो हम अपना अलग अलग घर संसार बना लेगें घर वालो की भी बोलती बंद हो जाएगी l
 मैने ओफिस में भी रिजाइन दे दिया हैl"
रीना
"जो तुम्हारे मन में आए करो पर मेरी एक बात कान खोलकर सुनलो राजेश इस बार अगर तुम सफल नहीं हुएं तो  मुझे तलाक दे देना।"
दूसरे ही दिन बडे जोश के साथ राजेश कोचिंग के लिए कोटा चला गया पर...
3  महिने बाद परीक्षा तिथि थी पर परीक्षा के पहले ही परीक्षा दो महीने के लिए आगे बढा दी गई l
जैसे तैसे घर वालो को मनाया कड़ी मेहनत की  परीक्षा भी हो गई सफलता की पूरी उम्मीद थी राजेश को..
पापा पापा आपका फोन बज रहा है..... हेलो.... हाँ बोल नीरज
यार राजेश कल रिजल्ट डिक्लेअर हो रहा है.. क्या बात कर रहा है चल अच्छी खबर सुनाई वैसे भी मुझे इसी का इंतजार था इस बार आर या पार.... हाहाहा... आर पार मतलब... अगर नही निकला तो..
नीरज सच में मुझे पक्का  भरोसा है इस बार हो जाएगा और नहीं हुआ तो मैं अपनी कहानी ही खत्म कर लूंगा l
अरे मैं मजाक कर रहा था तू तो.... तू तो क्या यार सच ताने वाली जिंदगी से तो मर जाना ठीक है l
चलो ठीक है कल देखते हैं ओके बाय।"
रिजल्ट आ गया आशा अनुरूप राजेश का सलेक्शन भी हो गया... घर में खुशियों के दीप जलने लगे, बधाई देने वालो का फोन और घर पर ताता लगने लगा..
ऐसे ही माहौल में चार पांच दिन निकल गए और एक दिन अखबार में खबर आई की धांधली के चलते परीक्षा परिणाम रद्द किया जाता है  l
पुनः परीक्षा की तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी l
खबर सुनते ही राजेश मानसिक संतुलन खो बैठा और उसने आत्महत्या कर ली
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