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कविता: ऐ जिन्दगी (शीबू डोबरियाल, गंगटोक, सिक्किम)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “शीबू डोबरियाल की एक कविता  जिसका शीर्षक है “ जिन्दगी”:

 
जिंदगी हर दिन एक जंग सी लगती है,

कभी पहलू में मेरे तो , कभी तेरे लगती है,

कभी पास आके बैठ, तो बताए  हमे कितनी बेरहम लगती है,

हर दिन ये मुझसे मेरे ही जवाबो पे एक नया सवाल पूछती है,

की तू तो कभी न झुकने वाली थी!!!

क्या .... हार गई आज की कहानी से???

मैने भी हस के कह दिया, ना हारी हु... और ना हारूंगी, ...

बस अब ऊबा देती है ये, तेरी रोज की बचकानी गाथाएं,

है दम तो कुछ मजेदार पटकथा दिखा,

रोमांच से भरा कोई नया नाट्य तो लेके आ,

ज़रा रूबरू तो आ, तो मैं महसूस करु और फिर कहूं.....

जिंदगी तू तो सच में एक जंग सी लगती है......

मुस्कुरा के फरमाया , जिंदगी ने कुछ इस तरह से....

शेरनी है तू मेरी, जो कोई जंग हारती नही,

शेरनी बनाए रखने के लिए ही तुझे....

जिंदगी हर दिन एक जंग सी लगती है।।।