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कविता: तेरी खातिर (वीनस जैन, शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “वीनस जैन की एक कविता  जिसका शीर्षक है “तेरी खातिर”: 

चूमती नजरे नजरों से उसका अक्स।
बरसों से नजरो में चढ़ा जो शख्स।
 
पराजय जिससे दिल ने करी स्वीकार।
प्रेम ही उसका बन गया मेरा संस्कार।
 
मेरे जीवन को जिसने दिया आकार।
उसमे में ही तो बसता मेरा संसार।
 
उससे ही है जुड़ा मेरा हर रिश्ता।
उससे शुरु उस पर खत्म मेरा हर किस्सा।
 
जो नही उसका नहीं वो मेरा हिस्सा।
वो ही तो मेरी जिंदगी का फरिश्ता।
 
जो ना उसके हुए उनको कैसे अपना बनाऊं।
तेरी खातिर तो दुनिया से लड़ जाऊं।
 
अश्रु नयनों का उसके हर पी जाऊं।
आखरी सांस तक दिल से ये रिश्ता निभाऊं।