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कविता: प्रेरणा से जीवन का मार्ग प्रशस्त होता (डॉ• विनय कुमार श्रीवास्तव, प्रतापगढ़ सिटी, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “डॉविनय कुमार श्रीवास्तव की एक कविता  जिसका शीर्षक है “प्रेरणा से जीवन का मार्ग प्रशस्त होता”:

बिना प्रेरणा के होता न कोई भी काम।
करता है कोई न कोई तो होता है नाम।
 
कुछ महाप्रेरक होते हैं जीवन में सबके।
कुछ उत्प्रेरक भी होते सदा हम सबके।
 
बच्चों को मात-पिता से प्रेरणा मिलती।
शिष्यों को शिक्षक से प्रेरणा है मिलती।
 
प्रेरणा पाया हर विद्यार्थी अच्छा करता।
अपने स्तर से अच्छे से अच्छा है करता।
 
सफल वही है जीवन में जो करता कर्म।
कड़ा परिश्रम करना ही केवल एक धर्म।
 
पत्नी की प्रेरणा से महाकवि तुलसीदास।
लिखे श्रीराम चरित मानस बैठे-बैठे दास।
 
कृष्ण से प्रेरणा पाये अर्जुन युद्ध मे जीते।
महाभारत युद्ध कुरुक्षेत्र में पांडव है जीते।
 
ओलंपिक खेलों के खिलाड़ी बने प्रेरणा।
आगे की सफलता एवं विजय की प्रेरणा।
 
सफल व्यक्ति के व्यक्तित्व से लेते हैं ज्ञान।
प्रेरणा मिलती है मेहनत से बदलते जहान।
 
बड़ों की प्रेरणा सदा हमें आगे ही बढ़ाती।
सफलता की है सभी सीढियां हमें चढ़ाती।