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कविता: एक अकेली मैं (जूही सिंह, जौनपुर, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “जूही सिंह की एक कविता  जिसका शीर्षक है “एक अकेली मैं”:

 
मैं किस शहर में खो गई,
मुझे कुछ पता न चला,
भटक रही हूँ इस शहर में,
यहाँ मुझे कोई अपना ना मिला।
 
अकेला समझकर कुछ लोगों ने,
मुझे अपने स्वार्थ में बाँध लिया,
जब कुछ दूर  साथ चली,
तो उनके स्वार्थ का पता चला।
स्वार्थी ही सही,
कोई तो मेरा अपना है,
यह सोचकर मैंने,
स्वार्थी रिश्तों को भी अपना लिया।
 
कल रात मैंने सपने में देखा,
मुझे लेने मेरे घर वाले आये है,
मैं जिस शहर में खोई थी,
उसका पता वो लोग लगाए है।
 
देख उनको सपने में,
मैं बहुत तेज दौड़ी,
टूट गया सपना मेरा,
जब मैं फिसलकर नीचे गिरी।