पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “शिखा मिंज” की एक कहानी जिसका शीर्षक है “क़ातिल कौन?":
कोलकात्ता जैसे
बड़े शहर में शिक्षक के पद पर एक जाने माने स्कुल में आयाम की नौकरी लग गई।ओ येश
येश येश झूमता हुआ...."फाइनली जाॅब पक्की हो गई मां बड़ी खुश होगी ये जान कर
और बहन.....उसे तो अब कोई तकलीफ़ होने न दूंगा खूब पढ़ाऊंगा ताकि कल को उसे कोई
प्रोब्लम हो तो असानी से निपटले।"आर्थिक तंगी के कारण बहुत बुरे से भी बुरे
दिन देखे थे एक जमाने में यही वज़ह थी कि आज जब नौकरी की खबर आई तो रात भर सो न
सका पुरानी बातों को सोचकर।रात भर चेहरे का रंग क्षण भर में कई दफा बदलने लगे।
"अब अच्छे दिन आने वाले है।"
सुबह घंटी बजी,आयाम सर ब्लाइनकेट से सर निकालते हुए"कौन फोन कर रहा है इतने सुबे-सुबे?" "हेलो, हां बेटा कैसा है तू?"हां मां ठीक हूं आप दोनों कैसे हो और पिंकी की पढ़ाई कैसी चल
रही है?"यहां सब ठीक है बेटा तेरी बहन की पढ़ाई भी
अच्छी चल रही है,अरे हां मैं तो बताना ही भूल गई बातों ही बातों
में खुश खबरी है,"ओह हो,मेरे पास भी एक बहुत बड़ी
खुश खबरी है।"ठीक है पहले तू बता फिर मैं बताती हूं नहीं मां पहले आप लेडिज
फास्ट।"बता न बेटा बहू ढूंढ़ लिए क्या?अरे नहीं मां अभी उसके
लिए टाइम है। मां खुशखबरी तो बताओ ठीक है बताती हूं तुम्हारी बहन ने पूरी जिला
में टॉप किया है दसवीं की परीक्षा में।"अरे वाह मां!यह तो वकाई बड़ी खुशी की
बात है।"हां बेटा सो तो है ।"तूने नहीं बताया क्या बात है बात ये है कि
मेरे नौकरी लग गई यहीं इसी शहर में जहां मैं ठहरा हूं।" "दिल खुश कर
दिया बेटा तूने अब अच्छे दिन आने ही वालें है।"हां मां अब सब सही होगा अच्छा
होगा। ठीक है मां मैं बाद में फोन करता हूं आज ही मेरी जोयनिंग है।"कहकर फोन
काट दिया।
आज पहला दिन है
इसलिए 8 बजे ही घर से निकल दिया कहीं देर न हो जाए। पहली सैलरी आते
ही मां को पहली बार साड़ी दूंगा मां कितनी खुश होगी देखकर जब मुझे इतनी खुशी हो
रही है अपनी पहली कमाई, मां के लिए साड़ी,अब मेरी बरसों की इच्छा पूरी होगी और पिंकी को भी नयी साइकिल दिलाऊंगा रोज तीन
किलोमीटर पैदल आते जाते बच्ची मुरझा जाती है उसके सारे दोस्तों के पास साइकिल है
एक उसके पास ही......।पर कोई बात नहीं उसके पास भी अब होगी और सबसे अच्छी वाली
होगी।
स्कूल पहुंचते ही
गेट के बाहर वाले जंगल में पेड़ के पीछे सीग्रेट पीते बच्चे पर उसकी नज़र
पड़ी।उसने मुंह से सीग्रेट निकाल फेंकते हुए प्यार से कहा"देखो बेटा यह बहुत
बुरी बात है पढ़ाई लिखाई के समय में नशा पान कर रहे हो,यही के पढ़ने वाले लगते हो क्लास का टाइम हो गया और तुम यहां.....इतने में उस
बच्चे ने आगबबूला होकर चिल्लाने लगा चोर चोर चोर..... पकड़ो पकड़ो....ये सुनते ही
आस पास के लोग दौड़ के वहां आए कोई चाय का ग्लास,कोई पेपर फेंक तो कुछ राह
चलते राही भी सब टूट पड़े आयाम पर,
भीड़ में आवाज गुंजी
"छोड़ दो मुझे छोड़ दो मुझे मैं चोर नहीं इस स्कुल का नया टीचर
हूं।"लेकिन भीड़ तले आवाज़ दफ़न हो गई एक व्यक्ति "मारो इसे",दूसरा "हां मारो इसे",सब "हां
हां" एक अन्य पास खड़ा व्यक्ति
"हां -हां मारो सब ताकि बाकी चोरों को भी सबक मिले।"दुकान वाली काकी मां,"मार मार के खाल उझेड़ दो तब इसे चोरी का नतीजा क्या होता है
पता चलेगा।"लोगों के हाथ पैर सांस रूकने के बाद तक भी चलती रहीं। चेहरा इतना
खराब हो गया कि पहचान में भी न आए।
किसी ने पोलिस को
भी खबर दे दी कि"कोई चोर पकड़ाया है आप जल्दी से इस एड्रेस पर आ जाइये
सर" "ठीक है हम अभी पहुंचते हैं।"
थोड़ी ही देर में
पुलिस आई तब जा के भींड़ हटी, इन्स्पेक्टर अर्जुन गाड़ी से उतरा वह देखते ही
समझ गया कि अब तक तो वो मर चुका होगा।
लास की ओर जाते
हुए रास्ते के पास झुकर चेक किया।
कन्टेबल ने
एम्बुलेंस को फोन कर दिया।इधर उधर घुमाते आखिर वो कौन है पता लगाते एम्बुलेंस भी आ
गई।"राजू लास को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो।"ये सुनते ही लोगों के पांव
तले जमीन खिसकने लगे।
पोस्टमार्टम के
लिए भेजने से पहले सीनात के लिए तश्वीर ली गई थी।"मीना और राजू जाओ तुम लोग
आस पास में पता करो कि ये व्यक्ति कौन था?" "जी सर" आस
पास छानवीन होने लगी।
अर्जुन ने कहा
"क़ातिल कौन अब तुम सब बताओं मुझे?"बिना सोचे समझे
कानून को हाथ पर लेने का बड़ा शौक था न कुछ समझ में आ रहा है क्या क्या है तुम
सबने?"समने सबके मुंह पर ताला लगी थी अब।"किसने
उसे चोरी करते हुए हुए देखा था गु्स्से में चिल्लाते बताओ अब एक व्यक्ति"सर
एक बच्चे ने चोर चोर चिल्लाया और हम सभी भागे आए।" "तो कहां है वो बच्चा?" यहीं तो था आस पास ही होगा।"वो बच्चा अब ढूंढे से भी
कहां मिलता लोगों के आते ही वह भाग गया था किसी ने उसकी शक्ल भी सही से न देखी और
जल्द बाजी में जोर के अलावा कोई सूझ कर भी न सूझा।
आस पास किसी को
उसकी खबर न थी जब दोनों कनंस्टेबल लौट रहें थे तभी रींगटोन बजी अच्छे दिन आने वाले
हैं.......दिन आने वाले हैं दोनों ने नज़रें इधर उधर घुमाये फिर राजू की नजर पेड़
के पीछे छिपे फोन पर गई वो समझ गया की यह फोन उसी का है,"हेलो आप जो भी तुरंत संत एंटोनी स्कुल के बाहर आ जाइए
मार्डर हुआ है।"सुनते ही प्रीनसीपल कुछ टीचरों के साथ बाहर आया।
पुलिस ने जब
तश्वीर दिखाई तो प्रींसीपल ने साफ इन्कार किया कि "हम इसे नहीं जानते"
लेकिन हां आज हमारा एक नया टीचर आने वाला था अब तक वो आया नहीं भगवान न
करे............। सर थोड़ी देर पहले यहां से ही किसी ने मेरा फोन उठाया था....?हो साहेब, मैंने ही उठाया था यहीं जंगल में पेड़ के पीछे
घंटी बज रही थी। "ओह माय गोड!" टीचर अनिकेत,क्या हुआ सर कही ये.....हां।
उतने में ही अर्जुन की नजर एक आइडी पर गयी उसे उठाते हुए
प्रींसीपल को दिखाते हुए पूछा कि
"क्या थे आपके स्कुल के नये शिक्षक।"आइडी देखते ही सबके चेहरे पर
बारह बज गए। अर्जुन समझ गया और सब कड़ियां खुदबा खुद बयां कर गई कि ये लास किसकी
है।
"पुलिस जाने से पहले कहती गई क़ातिल कौन? किसे सज़ा होगी?कौन है उसके मौत का जिम्मेदार?अखिर किस गलती की सज़ा मिली उसे क्या वो चोर था?"
भींड़ मौन थी।