पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दीडिजिटल फॉर्मेटकीपत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है।आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार “नेतलाल यादव”की
एककविताजिसका
शीर्षक है “बचपन का प्यार भूल नहीं जाना है”: बचपन साथ बिताया एक ही बर्तन में
खाया किसी से लड़ने पर साथ में आँख
दिखाया पर्व त्योहार सब
मिलकर खुशी-खुशी मनाया शादी में साथ-साथ
नाचा भाई-दोस्ताना
निभाया घर-गृहस्थी साथ
चलाया पर अचानक ,यह क्या, पिता जी के
गुजरते ही, माँ के रहने के
बाद भी, रोज़ दरकने लगे
रिश्तों के, एक खूबसूरत आईना, जिस आईने को
देखकर, पुलकित होते थे
घर-परिवार, परिवार का हर एक
चेहरा, चेहरे पर फैल
जाता था, आत्मीयता के गहरे
भाव पर घर,जमीन, जायदाद के, इसी लोभ रूपी
दलदल में फँसता और धँसता, चल गया, खून के रिश्ते अब हर गाँव-शहर
के, माँ के पेट में
पलनेवाले, जुड़वां बच्चे भी,लड़ने लगे, झगड़ने लगे, बाहर आकर सब जानते हैं, कुछ लेकर, नहीं जाना है, इस जग से, फिर भी शतप्रतिशत
लोग, वही करते हैं, जो दुर्योधन ने, पांडवों के साथ
किया आज भी दुर्योधन
जिंदा है, जिसका इतिहास में
निंदा है तब भाई के रिश्ते
को निभाओ, लक्ष्मण और भरत
के समान, क्यों देते हो, एक इंच पर ध्यान, निकल जाता है
तेरा प्राण, क्या इस तरह
बढ़ेगा, जग में मान, यही समझाना है, यही बताना है बचपन का प्यार, भूल नहीं जाना है बचपन का प्यार, भूल नहीं जाना है।।
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