पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “डॉ• राजेश सिंह राठौर” की एक कविता जिसका शीर्षक है “आज तोड़ा है उसने मौऩ़”:
सैकड़ों बार उसे मैंने
मारा / दुतकारा-
कदम- कदम पर उसे
अपमानित किया ,
उसके शरीर से चुराई
श्रम की बूँदें
जिन्हे मैं भोगता रहा !
अन्दर का आदमी
लेकिन इसेअपनी
नियति समझ
वह सब सहता रहा !
उसके अन्दर का आदमी
जागा है,
इतना अपमान उसने
क्यों भोगा है !
कि वह दलित परिवार में जन्मा है,
उसके भीतर भी बहता है
वही रक्त / वही रक्त कणिकायें ,
फेफड़ों से आती जाती
वही हवायें !
वह कैसे हो गया नींच ,
क्रोधित भी नही होता
सब सहता है जबड़े भींच !
उसकी हर इन्द्रिय सक्रिय है,
परम्पराओं से बँधा है
इसीलिये वह निष्क्रिय है !
सशक्त अलम्बरदारों से,
और सुरच्छा पहरेदारों से !
सब कुछ खामोश,
खो देता है होश !
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पर आज सब कुछ
नही है यथावत,
आ गयी हो कयामत !
क्योंकि आज उसने
अपना मौन तोड़ा है,
जो यन्त्रणा/ आज
उसने धैर्य छोड़ा है !
उसकी जर्जर काया
जो कंकाल सी दिखती है,
नयी स्फूर्ति,
उसका स्वाभिमान,
मेरा अभिमान !
जैसे मेरे विशाल साम्राज्य की
चूले हिल गयी हैं ,
मेरी सत्ता के खिलाफ जैसे
बगावत की बिगुल बज गयी है !
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लेकिन मैं जानता हूँ
वह कुछ नही कर सकता !
मेरे अभेद्ध अस्त्रो के सामने
वह एक पल नही ठहर सकता !
जमीन में बहुत गहरे धँसी हैं,
जंमी से आसमाँ तक बसी हैं !