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कविता: नवविवाहिता की हत्या (नेतलाल यादव, गिरिडीह, झारखंड)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “नेतलाल यादव की एक कविता  जिसका शीर्षक है “नवविवाहिता की हत्या”:
 
दो वर्ष पहले ही 
हुई थी शादी 
एक बड़ी रकम देकर
कर्ज के बोझ तले दबकर 
टूट गया था कमर
क़र्ज़ तोड़कर अभी
गहरी सांस लिए ही थे 
दामाद ने मांगा , बुलेट 
फिर होने लगी उलझन
सताई जाने लगी बेटी 
फूल-सी कल्पना 
मुरझाई दो साल में 
बेटी को देखकर
पिता ने बनाया मन 
जमा करने लगे 
हर महीने कुछ धन 
बोले दमाद जी 
जल्द करूंगा भेंट 
कल्पना को खुश रखिये
कहां बसता है बुलेट 
पर कृतघ्न दमाद को
नहीं हो पाया विश्वास 
पिछले सप्ताह ही 
कर दिया सत्यानाश 
एक दिन घर वालों ने
कल्पना का गला दबाया 
मर गई आपकी बेटी 
यह ख़बर पहुँचाया 
ख़बर सुनकर 
माता-पिता का, हुआ बुराहाल
पर हत्यारों को 
कहाँ था कोई मलाल
उनके लिए था, एक खेल
खुशी-खुशी, चल गए जेल
जेल से फिर आयेंगे
यही समाज, सेहरा सजाएँगे
भूल जायेंगे, किसी को मारा है
यह एक हत्यारा है, हत्यारा है ।।