पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार “राज भट्टराई” की
एक कविता जिसका
शीर्षक है “जिंदगी की धड़कन ...”:
किसी बात पर
पत्नी से चिकचिक हो गई!
वह बड़बड़ाते घर
से बाहर निकला!
सोचा कभी इस
लड़ाकू औरत से
बात नहीं करूँगा,
पता नहीं समझती
क्या है खुद को?
जब देखो झगड़ा,
सुकून से रहने
नहीं देती!
नजदीक के चाय के
स्टॉल पर
पहुँच कर चाय
ऑर्डर की और
सामने रखे स्टूल
पर बैठ गया!
तभी पीछे से एक
आवाज सुनाई दी -
"इतनी सर्दी
में बाहर चाय पी रहे हो?"
उसने गर्दन घुमा
कर देखा तो
पीछे के स्टूल पर
बैठे एक बुजुर्ग
उससे मुख़ातिब थे!
...आप भी तो इतनी
सर्दी और
इस उम्र में बाहर
हैं बाबा..." वह बोला!
बुजुर्ग ने
मुस्कुरा कर कहा -
"मैं निपट
अकेला,
न कोई गृहस्थी, न साथी,
तुम तो शादीशुदा
लगते हो बेटा..."
"पत्नी घर
में जीने नहीं देती बाबा,
हर समय चिकचिक..
बाहर न भटकूँ तो
क्या करूँ?
जिंदगी जहन्नुम
बना कर रख दी है... "
गर्म चाय के घूँट
अंदर जाते ही
दिल की कड़वाहट
निकल पड़ी!
बुजुर्ग-: पत्नी
जीने नहीं देती?
बरखुरदार ज़िन्दगी
ही पत्नी से होती है!
8 बरस हो गए
हमारी पत्नी को गए हुए,
जब ज़िंदा थी,
कभी कद्र नहीं की,
आज कम्बख़्त चली
गयी तो
भुलाई नहीं जाती,
घर काटने को होता
है,
बच्चे अपने अपने
काम में मस्त,
आलीशान घर,
धन दौलत सब है
...
पर उसके बिना कुछ
मज़ा नहीं,
यूँ ही कभी कहीं-
कभी कहीं ,
भटकता रहता हूँ!
कुछ अच्छा नहीं
लगता,
उसके जाने के बाद,
पता चला वो धड़कन
थी!
मेरे जीवन की ही
नहीं मेरे घर की भी.
सब बेजान हो गया
है ...
लेकिन तुम तो
समझदार हो बेटा,
जाओ! अपनी जिंदगी
खुशी से जी लो;
वरना बाद में
पछताते रहोगे-
मेरी
तरह ....."
बुज़ुर्ग की आँखों
में दर्द और
आंसुओं का समंदर
था.
उसने चाय वाले को
पैसे दिए,
नज़र भर बुज़ुर्ग
को देखा,
एक मिनट गंवाए
बिना
घर की ओर मुड़
गया ...
उसे दूर से ही
देख लिया था,
डबडबाई आँखो से
निहार रही पत्नी
चिंतित दरवाजे पर
ही खड़ी थी ...
".... कहाँ
चले गए थे?
जैकेट भी नहीं
पहना,
ठण्ड लग जाएगी तो?"
"... तुम भी
तो बिना स्वेटर के
दरवाजे पर खड़ी
हो!"
कुछ यूँ... दोनों
ने आँखों से
एक दूसरे के
प्यार को पढ़ लिया था!
:- कई बार हम लोग
भी अपने जीवन मे इसी तरह की गलतियां कर बैठते है। सिर्फ पत्नी ही नही माँ, बाप, भाई, बहन या अज़ीज़ दोस्तोँ के साथ ऐसा कर देते है जो सिर्फ हमको
ही नही उनको भी कष्ट देता है।
:- छोटा सा जीवन
है प्यारे, हँस के गुजार दे।.........