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कविता: हमसे बेहतर ये पक्षी (नेतलाल यादव, गिरिडीह, झारखंड)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “नेतलाल यादव की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हमसे बेहतर ये पक्षी”:
 
वर्षों से, घर के सामने 
देखता रहा हूँ, एक बरगद,
बरगद की शाखाओं पर,
आश्रित बहुत सारे पक्षी,
पक्षियों के बनाए घोसलें
घोसलें में नवजात बच्चे,
बडी सुकून से रहते बच्चे
न कोई लड़ाई, न कोई खिचखिच
ऊपर से झाँककर एकटक
देखता है आदमी को
आदमी देखता है उस बच्चे को
जो बडा होते ही, स्वयं बना लेगा
अपना सुंदर-सा आशियाना
जी लेगा, खुद का जीवन
सीख लेगा, माता-पिता से,
वे सारी रहस्य भरी बातें
कर लेगा शत्रु -मित्र की पहचान
जिसे हम वर्षों लगाते हैं
और सीखते हैं, घर का बंटवारा
खड़ा करते हैं, आँगन में दीवार
बनाते हैं, घर में ही बाघा बॉर्डर
समय-समय पर होने लगती है 
सीमा उल्लघंन और लड़ाई
टकराने लगते हैं, आपस में भाई
करने लगते हैं, जग हंसाई
भूल जाते हैं, आपसी खून
रिश्तों का करते हैं खून
मरने के बाद ही,श्मशान में,
होती होगी मुलाकात
जिंदा में, अहम के कारण,
कहाँ बनती है कोई बात
तब बरगद के स्थायी बसेरे
सुबह-शाम, करने लगते हैं
मधुर स्वर में गान,
जिसमें एक अर्थ छिपा होता है
भाई रिश्तों को पहचान ।।