लेखाशास्त्र (कक्षा 11 सेमेस्टर II) अध्याय 1: खाता-बही (Ledger)
प्रश्न 1. खाता-बही (Ledger) किसे कहते हैं?
उत्तर: जिस पुस्तक में किसी संस्था के सभी लेन-देन को विभिन्न वर्गों में बाँटकर संबंधित खातों में संक्षिप्त और स्थायी रूप से दर्ज किया जाता है, उसे खाता-बही (Ledger) कहा जाता है।
प्रश्न 2. खाता-बही की दो विशेषताएँ लिखो।
उत्तर: खाता-बही की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
(क) जर्नल (Journal) से लेन-देन दूसरी अवस्था में खाता-बही में दर्ज किए जाते हैं।
(ख) लेखा अवधि के अंत में खातों के डेबिट और क्रेडिट दोनों पक्षों का अंतर निकालकर शेष (Balance) निर्धारित किया जाता है।
प्रश्न 3. खाता-बही की उपयोगिता या लाभ लिखो।
उत्तर: खाता-बही की उपयोगिता या लाभ इस प्रकार हैं:
(क) खाता-बही के माध्यम से दोहरी प्रविष्टि प्रणाली (Double Entry System) का सही उपयोग संभव होता है।
(ख) प्रत्येक लेखा अवधि के अंत में खाता-बही के शेषों से रेवामिल (Trial Balance) तैयार कर गणितीय शुद्धता की जाँच की जा सकती है।
(ग) लेन-देन पहले जर्नल में और फिर स्थायी रूप से खाता-बही में दर्ज किए जाने से त्रुटि या धोखाधड़ी की संभावना बहुत कम होती है।
(घ) खाता-बही से विभिन्न जानकारियाँ आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं, जिससे संस्था के स्वामी या प्रबंधक तुरंत निर्णय ले सकते हैं।
प्रश्न 4. खाता-बही के उपविभागों के दो लाभ लिखो।
उत्तर: खाता-बही के उपविभागों के दो लाभ इस प्रकार हैं:
(क) विभिन्न प्रकार के खातों के लिए अलग-अलग खाता-बही होने से कोई भी जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है।
(ख) जब अनेक लेखाकार कार्य बाँटकर करते हैं, तो कार्य समय पर पूरा करना संभव हो जाता है।
प्रश्न 5. जर्नल (Journal) और खाता-बही (Ledger) में क्या अंतर है?
उत्तर: जर्नल और खाता-बही के बीच अंतर इस प्रकार हैं –
(क) जर्नल लेखांकन की प्रारंभिक पुस्तक या मूल प्रविष्टि की पुस्तक है।
खाता-बही लेखांकन की स्थायी या मुख्य पुस्तक है।
(ख)Bलेन-देन घटित होने के साथ ही प्रथम अवस्था में जर्नल में लिखा जाता है।
जर्नल में प्रविष्टि के बाद दूसरी अवस्था में खाता-बही में दर्ज किया जाता है।
(ग) जर्नल में खाता-बही पृष्ठ संख्या (L.F.) लिखी जाती है।
खाता-बही में संबंधित खाते के साथ जर्नल पृष्ठ संख्या (J.F.) लिखी जाती है।
(घ) इस पुस्तक में शेष (Balance) निकालने का अवसर नहीं होता।
लेखा अवधि के अंत में खाता-बही के विभिन्न खातों का शेष निकाला जाता है।
प्रश्न 6. प्रविष्टि (Entry) और खाता-लेखन (Posting) में क्या अंतर है?
उत्तर: प्रविष्टि और खाता-लेखन में अंतर इस प्रकार हैं –
(क) जर्नल में लेन-देन को डेबिट और क्रेडिट में विभाजित कर दर्ज करना प्रविष्टि कहलाता है।
जर्नल से लेन-देन को संबंधित खातों में दर्ज करना खाता-लेखन कहलाता है।
(ख) प्रविष्टि लेन-देन लेखन की प्रारंभिक अवस्था है।
खाता-लेखन लेन-देन लेखन की अंतिम अवस्था है।
(ग) किसी लेन-देन की प्रविष्टि जर्नल में केवल एक स्थान पर की जाती है।
किसी लेन-देन का खाता-लेखन दो या अधिक खातों में किया जाता है।
प्रश्न 7. शेष निकालना (Balance करना) किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी खाते के डेबिट और क्रेडिट पक्ष की राशियों का अंतर ही उस खाते का शेष होता है। जिस पक्ष की राशि कम होती है, उसी पक्ष में शेष लिखकर दोनों पक्षों को बराबर करना शेष निकालना कहलाता है।
प्रश्न 8. शेष के प्रकार कितने और कौन-कौन से हैं?
उत्तर: सामान्यतः खाते के शेष तीन प्रकार के होते हैं:
(क) डेबिट शेष (Debit Balance)
(ख) क्रेडिट शेष (Credit Balance)
(ग) शून्य शेष (Zero Balance)
और समय के आधार पर शेष दो प्रकार के होते हैं:
(क) प्रारंभिक शेष (Opening Balance)
(ख) अंतिम शेष (Closing Balance)
प्रश्न 9. डेबिट शेष (Debit Balance) किसे कहते हैं?
उत्तर: यदि किसी खाते के डेबिट पक्ष की राशि क्रेडिट पक्ष की राशि से अधिक हो, तो उस शेष को डेबिट शेष (Debit Balance) कहा जाता है।
प्रश्न 10. क्रेडिट शेष (Credit Balance) किसे कहते हैं?
उत्तर: यदि किसी खाते के क्रेडिट पक्ष की राशि डेबिट पक्ष की राशि से अधिक हो, तो उस शेष को क्रेडिट शेष (Credit Balance) कहा जाता है।
प्रश्न 11. शून्य शेष (Zero Balance) किसे कहते हैं?
उत्तर: यदि किसी खाते के डेबिट और क्रेडिट पक्ष की राशि समान हो, तो उस खाते को शून्य शेष (Zero Balance) कहा जाता है।
प्रश्न 12. प्रारंभिक शेष (Opening Balance) किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी खाते का वह शेष जिससे वह लेखा अवधि की शुरुआत करता है, और जिसे सभी लेन-देन दर्ज करने से पहले लिखा जाता है, उसे प्रारंभिक शेष (Opening Balance) कहा जाता है।
प्रश्न 13. अंतिम शेष (Closing Balance) किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी खाते का वह शेष जिससे वह किसी लेखा अवधि या समयावधि के अंत में समाप्त होता है, और जिसे सभी लेन-देन दर्ज करने के बाद लिखा जाता है, उसे अंतिम शेष (Closing Balance) कहा जाता है।
प्रश्न 14. खातों का शेष निकालने की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर: खातों का शेष निकालने की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है –
(क) इससे खातों की सही वित्तीय स्थिति का पता चलता है।
(ख) विभिन्न व्यक्तियों या संस्थाओं से देनदारियों और प्राप्तियों की राशि ज्ञात की जा सकती है।
(ग) रेवामिल (Trial Balance) तैयार कर गणितीय शुद्धता की जाँच की जा सकती है।
(घ) संस्था के वित्तीय परिणाम (Profit या Loss) ज्ञात किए जा सकते हैं।
प्रश्न 15. व्यक्तिगत खाता-बही (Personal Ledger) किसे कहते हैं? इसके प्रकार बताओ।
उत्तर: जब किसी व्यक्ति या संस्था से उधार पर वस्तुओं की खरीद या बिक्री की जाती है, तो देनदारों (Debtors) और लेनदारों (Creditors) के खातों को जिस खाता-बही में दर्ज किया जाता है, उसे व्यक्तिगत खाता-बही (Personal Ledger) कहा जाता है।
व्यक्तिगत खाता-बही दो प्रकार की होती है:
(क) देनदारों की खाता-बही या विक्रय खाता-बही:
जब वस्तुएँ उधार पर बेची जाती हैं, तो देनदारों के खातों को जिस खाता-बही में दर्ज किया जाता है, उसे देनदारों की खाता-बही या विक्रय खाता-बही कहते हैं।
(ख) लेनदारों की खाता-बही या क्रय खाता-बही:
जब वस्तुएँ उधार पर खरीदी जाती हैं, तो लेनदारों के खातों को जिस खाता-बही में दर्ज किया जाता है, उसे लेनदारों की खाता-बही या क्रय खाता-बही कहा जाता है।

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