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कविता: एक प्रेयसी की वेदना (राजीव रंजन, गया, बिहार)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार राजीव रंजन  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “एक प्रेयसी की वेदना":

तू जाता है तो जा तेरे जाने का मुझे दुःख नहीं,

मेरी जिंदगी में तू मेरे सांसों से ज्यादा कुछ नहीं ।

 

क्या होगा जो तू चला जायेगा मुझे छोड़कर ,

मेरा दिल तोड़कर, हमसे मुंह मोड़कर ?

तू भले खुश हो जायेगा किसी और से रिश्ता जोड़कर ,

पर मैं तो मरूँगी भी तेरे नाम की चुनरी ओढ़कर।

तू जाता है तो जा . . . . . . . . . . . मेरी जिंदगी में - -

 

हमें मालूम है तू मुझे हासील नहीं होगा ,

पर मेरे जिते-जी मेरे दिल में कोई दूसरा दाखिल नहीं होगा।

तू जाता है तो जा . . . . . . . . . . . मेरी जिंदगी में - -

 

कई कमियां गिनाई थी लोगों ने तुझमें फिर भी मैंने सराहा था,

तुमने मेरे जिस्म से मोहब्बत की मैंने तुम्हें रूह से चाहा था।

तू जाता है तो जा.... . मेरी जिंदगी में - -

 

मेरा तन तो अब बेजान है, बस कुछ पल का मेहमान है,

ये है पता तुम्हें भी की हम दो जिस्म एक जान है ।

तू जाता है तो जा . . . . . . . . . . . मेरी जिंदगी में - -