पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पप्पू प्रसाद जयसवाल की एक कविता जिसका शीर्षक है “मेरी प्यारी पगली":
मेरा दिल जिसका एक झलक ,
पाने के लिए बेकरार रहता है ।
वह पगली किसी और का दिदार ,
के लिए पागल बने फिरती है ।
वह बहुत खुशनसीब है ,
जिससे वह प्यार करती है ।
पर मैं भी कम खुशनसीब नहीं ,
जो उससे प्यार करता हूँ ।
मैं उससे प्यार करता हूँ ,
ये मेरी दिल की चाहत है ।
पर उसे बता नहीं सकता ,
ये मेरी दिल की मजबूरी है ।
वह समझ जाती मेरे प्यार को ,
तो मैं न लिख पाता इस को ।
वह खोज रही थी ,
किताबों में प्यार को ।
पर पगली एक बार भी नहीं खोजी ,
मेरी आँखों में प्यार को ।
पूछ रही है मुझसे वह कौन है ,
जिससे मुझे प्यार हुआ है ।
मैं कैसे कहूँ ये पगली एक बार ,
प्यार से देख तो ले मेरी आँखों में ।
तु समझ जाऐगी क्योंकि तेरी ही ,
तस्वीर छिपा रखी है आँखों में ।