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कविता: कभी सोचा न था (पिंकी गुप्ता, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पिंकी गुप्ता  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कभी सोचा न था":

कभी सोचा न था कि ऐसा भी दौड़ आएगा,

घरों में बंद होकर रह जायेंगे और वक़्त बीतता जायेगा।

जीवन बचाने के लिए मानव,मानव से ही दूर हो जायेगा,

न जाने वक़्त और क्या-क्या दिखलायेगा।

कभी सोचा भी न होगा आधुनिक मानव ने,

कि वह कोरोना के चंगुल में इस कदर फँस जायेगा।

परन्तु विश्वास था, हैं और आगे भी कायम रहेगा,

आशा और उम्मीद संसार को चलाता आया हैं और आगे भी चलाएगा।

सावधानियाँ बरतने से इस रोग का भी विनाश हो जायेगा,

और वो वक़्त दूर नहीं जब दुनिया कोरोना मुक्त हो जायेगा।

साथ ही साथ यह हमें बहुत सारी सीख भी दे जायेगा,

यदि हम इससे भी कुछ न सीखे तो  यह मानवतावाद कि व्यर्थता कहलायेगा।

तो हे! मानव अपनी गतिविधियों को व्यर्थ साबित करने से एकमात्र तू ही रोक पायेगा।