पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीना अन्दौत्रा पठानिया की एक कविता जिसका शीर्षक है "आजादी की वर्षगांठ":
आज़ादी की
वर्षगांठ है आयी ।।
हर गली में जय भारत , जय हिंद की गूंज है लाई
।।
वर्षों पहले आज़ाद
हुए थे हम विदेशी हुक्मरानों से ।
आज फिर गुलाम
हैं।
गन्दी राजनीति
करने वालों से ।।
खोखले आस्वास्नों
के जाल झूठा राजनेता बुन रहा ।।
झूठे इन मकड़जालों
मे मेरा युवा धंस रहा ।।
कहां से लाऊं आज
मैं ।
क्रांतिकारी वीर
सपूत ।।
जो देश मेरे को
इन विद्रोहियों से बचा लें ।।
वतन मेरा आज फिर
राजनीति की आग में झुलस रहा ।।
खोल नवयुवा बन्द
आंखें अब ।।
देख इसकी पावन
हवा में कौन ज़हर हैं घोल रहा ।।
गंगा - जमुना भी
उदासी के गीत गाती है ।।
वर्षों पहले जिस
सोने की चिड़िया के, पंखों को नोंचा था बाहर वालों ने ।।
आज वह अपनों के
हाथों से ही लूटी जाती है ।।
धरती इसकी पुकार
रही फिर किसी लौहपुरुष संतान को ।।
वतन मेरे की
अखंडता को बांधे जो एक ज्ञान में ।।
जाती के बंधन से
अब मुक्त खुद को करते हैं ।।
हिन्दू - मुस्लिम
से पहले ।।
भारतीय होने का
सबक पढ़ते हैं ।।
आओ एक बार फिर हम
खोखले आडम्बरों से ।।
मां भारती को
मुक्त करते हैं ।।
आओ मिलकर हम
शांति का ध्वज लहराते हैं ।।
हिमालय के शिखर
जैसा कीर्तिमान इसको बनाते हैं ।।