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कविता: तिरंगा प्यारा (आशुतोष, पटना, बिहार)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार आशुतोष की एक कविता  जिसका शीर्षक है  "तिरंगा प्यारा":

तिरंगा आन में है तिरंगा शान में  है

तिरंगा बान में है तिरंगा जान में है

रहे तू आबाद तिरंगा जिन्दाबाद-3

 

वतन परस्ती की वचन परस्ती की

शपथ परस्ती की तिरंगा दिल में है

रहे तू आबाद तिरंगा जिन्दाबाद-3

 

गद्दारो को सबक देश भक्तो की कदर

शान से ये तो  सबके दिमाग में  है

हर वतन परस्त का तिरंगा ख्याल में है ।

रहे तू आबाद तिरंगा जिन्दाबाद-3

 

लहराये तो हर दिल अजीज बन जाये

झुक जाये तो हर दिल मुरझाए

वतन पे मिटने वाले तिरंगा ख्याल में है 

रहे तू आबाद तिरंगा जिन्दाबाद-3

 

जवा दिल की धड़कन में  है

हर मसला का समाधान में  है

तिरंगा एकता की मिसाल में  है

रहे तू आबाद तिरंगा जिन्दाबाद-3