पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रफुल्ला मिंज की एक कविता जिसका शीर्षक है “आज का भारत":
धीरे - धीरे हमारे भारत देश की
आंतरिक छवि है, बदल रही
अखण्डता, वीरता, अतुलनीय और
सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत
अंदर ही अंदर कई हिस्सों में बंट रहा |
अंग्रेजों के दिन गए,
दो सौ वर्षों की दासता छूटी
जब आजादी के लिए लड़े गए
तब सभी केवल हिन्दुस्तानी थे
लेकिन, आजादी के बाद सिर्फ़ बनकर रह गए हिन्दू , मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई |
मत भूलो हमारे गौरवशाली इतिहास को,
जो न जाने कितने ही बच्चे, बूढ़े,
स्त्रियों, युवा और सेनानियों के बलिदानों से गर्वित है,
उनके कुरबानों को यूँ ही व्यर्थ
नहीं गंवाने दो, क्योंकि
उनका सपना था, भारत देश को
सब देशों से वरिष्ठ बनाने का |
चलो एकबार फिर से कदम उठाएं हम
एक नये भारत की कल्पना लिए,
जहां न कोई धनी - गरीब, ऊँच - नीच, जाति – धर्म,
छूआछूत, अशिक्षा, बेरोजगारी का बोलबाला हो |
आज के दिन सभी भारतवासी सब
भेद - भाव छोड़, यह प्रण लें, कि
भारत देश में फिर से भाईचारा, प्रेम,
शांति सद्भावना का तिरंगा लहराएं |