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लघुकथा: जवाब (ममता कुमारी, आसनसोल, पश्चिम बंगाल)



पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार ममता कुमारी की एक लघुकथा  जिसका शीर्षक है “जवाब":

छोटी -छोटी गलतियों पर चुपचाप बातें सुनना शिवानी के बचपन से लेकर युवावस्था तक की आदत थी। आज कॉलेज पास किए सात वर्ष बीत गए। वह बदल चुकी है, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के पद पर है जहां बेबाकी से सबके प्रश्नों के हल देती हुई अपनी बात प्रस्तुत करती है।हालाकि डरा,सहमा, शान्त स्वभाव तो बचपन से था। परंतु घर वालों ने कभी कोई बाधा नहीं लगाई कि लड़की होने के नाते उसे क्या करना है और क्या नहीं। मित्रों,सहपाठियों के तंज,मजाक,उलाहना में स्कूल से लेकर कॉलेज का समय बीत गया परंतु कभी अपने बचाव या सफाई में कोई जवाब नहीं दिया। प्राशसनिक नौकरी में हजार तरह के लोगों से बातचीत,विचार विमर्श,प्रश्न उत्तर आदि होता है।आज पुराना समय लौटा है।मित्र के शादी की पार्टी में सामने अहंकारी भाव में हर्ष अपनी पत्नी के साथ खड़ा है जिसके लिए सात साल पहले उसकी कोमल भावनाएं थी।जिसे वह कभी कह नहीं पाई ना ही वह समझ पाया।आजकल यह रेलवेे में कार्यरत है।वह शिवानी के रुतबे से वाक़िफ होते हुए,उसे पहले सा जानते हुए तंज कसता है "तुम अभी तक सिंगल हो,कोई तुम्हारे हिसाब का की नहीं मिला"। सबको उत्तर देने वाली शिवानी निरुत्तर पड़ गई। तभी महसूस हुआ कंधे पर अपनत्व का स्पर्श,वो अजीत था।उसे देखकर शिवानी मानो हरी सी हो उठी और सधे हुए शब्दों में बोली"ये अजीत,एक सम्पन्न बिजनेसमैन और मेरे अजीज़ मित्र है।"इस जवाब को सुन कर हर्ष बनावटी मुस्कान के साथ कतरा कर निकल गया।वह जान गया था डरी, सहमी, शान्त शिवानी अब बदल चुकी है।उसके पास प्रश्नों के जवाब है।