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कविता: औकात (पूनम कुमारी, सिल्लीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

 


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पूनम कुमारी  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “औकात":

छोटी सी जमीं पे इमारते खड़ी कर देते है,

बड़ी सी जमीं को सींच दूसरो का पेट भरते हैं।

 

जहां एक पशु को पालकर इंसान बनते हैं महान,

वहीं हजारो की तादाद में पशूओं को पालते हैं किसान।

 

कभी तुम्हारे कपड़े हैं बुनते,

कभी तुम्हारे जूते हैं सिलते,

रौशन होती है उनकी दुनिया,

जब कुछ जूगनू है जलते।

 

फिर भी उन्हें नीचा दिखाने में

लोगो को नही आती शर्म,

तुम उनसे ऊँचे हो

ये है तुम्हारा भ्रम।

 

मंदिर, मस्जिद , सड़के, नहरे

ना जाने कितनी चीजो का निर्माण कर

वो देते है तुम्हे सौग़ात,

ऐ मानव ! उनके सामने है ही क्या तुम्हारी औकात।।